Tuesday, January 4, 2011

Chanda (The Moon)(in Hindi)

चंदा 
आज चंदा झोली फैलाये खड़ा है ,
    तम के साए में नीरस सा क्यों पडा है ?
क्या रवि से मांगता है प्रेम थोडा ?
    या सरासर चांदनी को मांगता है !
अपनी तृष्णा के समुंदर में पड़ा है , 
    आज  चंदा झोली फैलाये खड़ा है .
क्यों कशिश सी जागती है आज मन में ?
    क्यों तड़प के सर में औंधे मुहँ पड़ा है ?
क्या हुआ एक रात काली आ गयी जो ,
    कल को चांदनी के मद में झूमेगा तू , 
हौंसले का नाम ही तो जिन्दगी  है ,
    इस से बेहतर क्या कहूं तू ही बता दे !


Raat Kali (A Gloomy Night)(in Hindi)

रात काली 
चल पड़ी है चांदनी भी इस फलक से दूर अब, 
      चीखती है आज वो भी रात काली देख कर.
गर्त के साए में जैसे डूबा है ये आसमाँ,
      ढूँढता अपनी ही लौ को चाँद भी ये देख कर.
आग चारों ओर फैली फिर भी अंधियारा यहाँ,
     चीखती इंसानियत है रात काली देख कर.
 जो परम इंसानियत का मोल समझाता फिरे,
    डर गया है आज वो ही रात काली देख कर.