Tuesday, January 4, 2011

Raat Kali (A Gloomy Night)(in Hindi)

रात काली 
चल पड़ी है चांदनी भी इस फलक से दूर अब, 
      चीखती है आज वो भी रात काली देख कर.
गर्त के साए में जैसे डूबा है ये आसमाँ,
      ढूँढता अपनी ही लौ को चाँद भी ये देख कर.
आग चारों ओर फैली फिर भी अंधियारा यहाँ,
     चीखती इंसानियत है रात काली देख कर.
 जो परम इंसानियत का मोल समझाता फिरे,
    डर गया है आज वो ही रात काली देख कर.



1 comment:

  1. A gloomy night is a poem about terrorism which has spread all over the world ...please comment if you like

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