Friday, September 30, 2011

Rin (The Debt)(In Hindi)

सारा नभ ऐसे फूट पड़ा, तपती धरती को सुकून आया ,
जल सागर नभ को छोड़ चला, देखो नभ दुनिया की माया ,
रोते नभ को भी देख के क्या धरती का मर्म पिघल न सका ,
धरती तो फिर भी पत्थर है, नभ तू ऐसे क्यों फूट पड़ा,
नभ ने जो कहा, सुनना ही था, सुनते ही मैं बस ठिठक गया,
धरती से ऋण जो लिया था वो, उसका ही फ़र्ज़ निभाया है,
धरती नाचे, झूमे अम्बर, नभ का कर्तव्य हुआ पूरा,
मैंने जो सीखा था वो यही, जीवन का ऋण मैं करूँ पूरा


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